
रूसी सरकारी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, रूस ने सख्ती से स्पष्ट कर दिया है कि वह यूक्रेन में किसी भी विदेशी सैनिक की तैनाती स्वीकार नहीं करेगा, चाहे वह सुरक्षा गारंटी के नाम पर ही क्यों न हो।
यह बयान ऐसे समय पर आया है जब फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि 26 देशों ने एक साझा समझौते के तहत युद्धविराम के अगले ही दिन यूक्रेन को जमीनी, समुद्री और हवाई समर्थन देने का वादा किया है।
‘Coalition of Willing’ पर रूस की नाराज़गी
मैक्रों ने यह बयान 35 देशों के शिखर सम्मेलन ‘Coalition of Willing’ के बाद दिया, जिसमें उन्होंने बताया कि अब यह गठबंधन संयुक्त सैन्य प्रतिक्रिया देने को तैयार है।
रूस ने इसे सीधा हस्तक्षेप माना है और चेताया कि “इस तरह की सैन्य गतिविधियां क्षेत्र में तनाव को और भड़काएंगी।”
ट्रंप का संकेत: अमेरिका देगा हवाई मदद?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस मसले पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन उन्होंने संकेत दिया है कि अमेरिका का सहयोग “शायद हवाई मदद” के रूप में हो सकता है।
यह संकेत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एक नया समीकरण बना सकता है, जहां अमेरिका जमीनी लड़ाई में शामिल नहीं होकर भी रणनीतिक दखल बनाए रखेगा।

ज़ेलेंस्की की मांग: यूक्रेन के आसमान को चाहिए सुरक्षा
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने बयान दिया है कि उन्होंने ट्रंप से “यूक्रेन के आसमान की अधिकतम सुरक्षा” सुनिश्चित करने की बात की है।
“हमें हवा से सुरक्षा चाहिए, ताकि नागरिकों को सुरक्षित रखा जा सके।”
उनकी इस अपील से साफ है कि यूक्रेन अब सिर्फ हथियार नहीं, बल्कि रणनीतिक सुरक्षा कवच भी चाहता है।
क्या बढ़ेगा वैश्विक टकराव?
रूस और पश्चिमी देशों के बीच यह बयानबाज़ी आने वाले दिनों में एक नए अंतरराष्ट्रीय तनाव की ओर इशारा करती है। जहां एक ओर पश्चिमी देश यूक्रेन की सुरक्षा की गारंटी देना चाहते हैं, वहीं रूस इसे सीधा सैन्य हस्तक्षेप मान रहा है। क्या यह सिर्फ डिप्लोमैटिक प्रेशर गेम है या आने वाले समय में इससे सीमा पर टकराव और बढ़ेगा — यह देखना बेहद अहम होगा।
